12वीं शताब्दी के शक्तिशाली शासक यदुवंशी राजा तिमनपाल ने तिमण गढ़ किले का निर्माण 1100 ई में करवाया|
12वीं शताब्दी के शक्तिशाली शासक यदुवंशी राजा तिमनपाल ने तिमण गढ़ किले का निर्माण 1100 ई में करवाया| लोगों का मानना है कि इस किले के राजा के पास पारस पत्थर था जिससे वो लोहे को सोने में बदलता था| माना जाता है कि किले के गर्भ में अनेकों तलघरो का निर्माण राजा ने स्वर्ण कि सुरक्षा के लिये करवाया था | सोने के लालच में इस किले की बहुत बार खुदाई हुई जिसके चलते अच्छा खासा किला आज खंडर में बदल गया| इतिहासकार दामोदर को एक ताम्रपत्र लेख मिला जिसमें खजाना गाड़ने की बात लिखी हुई है|
लोगो का यह भी मानना है कि इस किले को ट्रेपेज़ कलाकार नतन का श्राप मिला था जिसकी वजह से यह खंडर बन गया| लोग कहते है कि अंतिम राजा ने नट को रस्सी पे चलने को कहा और वादा किया की अगर वो ऐसा करते है तो वो उनको अपना आधा राज्य दे देगा, नट राजा की इच्छा के अनुसार रस्सी पे चल कर लक्ष्य पे पहुँचने ही वाला था तभी रानी ने सैनिकों को रस्सी काटने का आदेश दे दिया, सैनिकों के रस्सी काटते ही नट नीचे गिरते हुए चट्टान से टकरा गया और मर गया| नट के वियोग में नटनी बहुत दुखी हुई और प्राण त्याग दिए, मरते मरते नटनी से राजा को श्राप दिया की उसका राज्य बर्बाद हो जाये|
आज भी लोग मानते है कि किले में मिटटी और अष्ठ धातु की छोटी और बड़ी मूर्तियां दबी हुई है , और किले के पास सागर झील है जहाँ पे आज भी पारस पत्थर स्थित है|
यह किला प्राचीन कला का बेमिसाल नमूना है,